यूपी में एक और BLO की आत्महत्या: SIR काम के दबाव ने ली एक और जान?

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Sarvesh Singh Death Case | SIR Row | Uttar Pradesh News

उत्तर प्रदेश में Special Summary Revision (SIR) को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। अब इसी काम के भारी दबाव के चलते एक और BLO (Booth Level Officer) ने कथित रूप से अपनी जान दे दी। मृतक BLO सर्वेश सिंह, जो एक सहायक अध्यापक थे, उन्हें बिना पर्याप्त ट्रेनिंग के BLO की ड्यूटी दे दी गई थी।

परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि—

“रात के दो-दो बजे तक फोन आते थे… इतनी टेंशन थी कि वो सहन नहीं कर पाए।”

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क्या था पूरा मामला?

  • मृतक सर्वेश सिंह एक सरकारी स्कूल में Assistant Teacher थे।
  • SIR (Special Summary Revision) के दौरान उन्हें BLO की जिम्मेदारी सौंपी गई।
  • परिवार के अनुसार, बिना किसी ट्रेनिंग के इतनी बड़ी जिम्मेदारी देना भारी पड़ गया।
  • सर्वेश सिंह लगातार टारगेट, डेडलाइन, और ऊपर से आने वाले दबाव से मानसिक रूप से टूट गए।
  • इसी दबाव में उन्होंने कथित रूप से आत्महत्या कर ली।

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SIR पर उठ रहे सवाल

SIR का असल उद्देश्य वोटर लिस्ट को अपडेट करना है, लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर लगातार विवाद बढ़ रहे हैं:

  • BLO पर अत्यधिक काम का बोझ
  • देर रात तक फोन और निर्देश
  • असमय टारगेट और डेडलाइन
  • ट्रेनिंग की कमी
  • प्रशासन द्वारा दबाव बनाने के आरोप

यह पहला मामला नहीं है—इससे पहले भी SIR के दौरान BLO के तनाव और परेशानियों की खबरें सामने आ चुकी हैं।

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परिवार का दर्द

परिजनों ने साफ कहा कि—

“उन्हें कभी BLO का काम नहीं कराया। न ट्रेनिंग दी, न गाइड किया।

सिर्फ दबाव… सिर्फ टारगेट… और बार-बार फोन।”

एक शिक्षक, जिसे बच्चों को पढ़ाना था, उसे अचानक BLO बनाकर इतनी बड़ी जिम्मेदारी थमा दी गई—यह सवाल प्रशासन के लिए बड़ा प्रश्न है।

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क्या समाधान निकल सकता है?

✔ BLO को पहले प्रॉपर ट्रेनिंग मिले

✔ देर रात फोन कॉल और दबाव रोका जाए

✔ स्कूल शिक्षकों को इतनी भारी अतिरिक्त जिम्मेदारी न दी जाए

✔ मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाए

✔ सरकार इस मामले की जांच कराए और दोषियों पर कार्रवाई करे

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सोशल मीडिया पर बढ़ता आक्रोश

इस घटना के बाद SIR को लेकर लोग लगातार सवाल उठा रहे हैं—

  • “क्या SIR सिर्फ दबाव का दूसरा नाम है?”
  • “क्या ब्लॉक लेवल अधिकारी मानवता भूल गए हैं?”
  • “कितने BLO और जान देंगे?”

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निष्कर्ष

सर्वेश सिंह की मौत सिर्फ एक दुखद घटना नहीं है—यह एक चेतावनी है कि व्यवस्था में गंभीर खामियां हैं। अगर हालात नहीं सुधरे तो और कई कर्मचारी इस दबाव का शिकार हो सकते हैं।

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